कानून और स्वतंत्रता के पारस्परिक संबंधों की चर्चा कीजिए। निजी कानून और सार्वजनिक कानून में अन्तर स्पष्ट करें। Sab Sikho

Rate this post

आज का यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कानून और स्वतंत्रता के पारस्परिक संबंध तथा निजी कानून और सार्वजनिक कानून में क्या अंतर है। यह महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानेंगे तो आप लोग ध्यान से इस पोस्ट को पढ़िए गा।

कानून और स्वतंत्रता के पारस्परिक संबंधों तथा कानून की परिभाषा

कानून और स्वतंत्रता के पारस्परिक संबंधों का विवेचन

कुछ विचारकों का मत है कि कानून और स्वतंत्रता परस्पर विरोधी हैं। कानून के द्वारा स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाता है। इससे स्वतंत्रता कम हो जाती है व्यक्तिवादियों का कहना है कि कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक प्रतिबंध है। अराजकतावादियों के अनुसार राज्य के कानून शक्ति पर आधारित होने के कारण व्यक्तियों की इच्छानुसार कार्य करने में बाधक होते हैं।

विलियम गाडविन के शब्दों में कानून सबसे अधिक घातक प्रकृति की संस्था है।” (Law is an institution of the most pernicious type.”). साम्यवादियों ने भी कानून को उच्च वर्ग के हितों का लाभ पहुंचाने का साधन कहा है। परन्तु वर्तमान समय में यह विचार मान्य है कि कानून स्वतंत्रता को सीमित नहीं करते, वरन स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।

लॉक ने कहा, “जहां कानून नहीं, वहां स्वतंत्रता भी नहीं हो सकती।” (“where is no law there is no freedom.”) विलोबी के अनुसार “जहां नियंत्रण होते हैं वहीं स्वतंत्रता का अस्तित्व होता है।” (“Freedom exists only where there is restraint.”) कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता की राज्य के हस्तक्षेप से रक्षा करतें हैं।

अन्य व्यक्तियों के हस्तक्षेप से रक्षा करतें हैं। इसके अतिरिक्त कानून वयक्ति के व्यक्तित्व के विकास की सुविधाएँ प्रदान करतें हैं। जैसे- शिक्षा की व्यवस्था, अधिकतम श्रम और न्यूनतम वेतन की कानूनी व्यवस्था एवं जन-स्वास्थ्य आदि का प्रबंध। हीगल के अनुसार “राज्य में रहते हुए कानून के पालन में ही स्वतंत्रता निहित है।

लोकतंत्र के वर्तमान युग में शासक जनका का अधिक कल्याण करने का प्रयत्न करतें हैं और उसके लिए कानूनों का निर्माण करतें हैं । अत: हम कह सकते हैं कि कानून स्वतंत्रता का रक्षक होता है। शासक जनता का अधिक से अधिक कल्याण करने का प्रयत्न करते हैं और उसके लिए कई कानूनों का निर्माण करते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि कानून स्वतंत्रता का रक्षक होता है।

कानून की परिभाषा, निजी कानून और सार्वजनिक कानून में अन्तर

कानून की परिभाषा (Definition of Law)- कानून अंग्रेजी भाषा के Law शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। Law शब्द की उत्पत्ति ट्यूटोनिक भाषा के शब्द ‘Lag’ से हुई है, जिसका अर्थ है ऐसी वस्तु जो सदा स्थिर, स्थायी और निश्चित या सभी परिस्थितियों में समान रूप से रहे। आस्टिन के अनुसार, “कानून सम्प्रभु की आज्ञा है।”

कानून राज्य में रहनेवाले व्यक्तियों के बाह्य आचरण को नियमित करते हैं। इनके पीछे राज-शक्ति होती है। निजी कानून तथा सार्वजनिक कानून में अन्तर (Distinction between Public and Private Laws) – निजी कानून वे कानून होते हैं जो व्यक्तियों के आपसी सम्बंधों को निश्चित करते हैं। सम्पत्ति को खरीदना, बेचना या ऋण सम्बन्धी कानून इसी प्रकार के कानून है।

निजी कानून इस तथ्य को निश्चित करते हैं कि एक नागरिक का अन्य नागरिकों से सम्बन्ध किस प्रकार का होना चाहिए? सार्वजनिक कानून वे कानून होते हैं जो व्यक्ति और राज्य के पारस्परिक सम्बन्धों को निश्चित व नियंत्रित करते हैं।

इस कानून द्वारा जहां नागरिकों को विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की जाती हैं, वहीं उनकी रक्षा के लिए राज्य द्वारा इन अधिकारों को सीमित भी किया जा सकता है। राष्ट्रीय कानून, संवैधानिक कानून, प्रशासनिक कानून आदि सार्वजनिक कानून के उदाहरण है।

एक अच्छे कानून की विशेषताएं

साधारणतः एक अच्छे कानून में निम्नलिखित विशेषताएं पायी जाती हैं:

(1) स्थायित्व (Stability)- कानून स्थायी होना चाहिए, जिससे जनसाधारण में विश्वास बना रहता है। केवल परिस्थितियों और समय की आवश्यकतानुसार ही उनमें परिवर्तन किया जाए।

(2) एक सरल स्पष्ट भाषा (Simple and clear language)- कानून की भाषा सरल होनी चाहिए। वह स्पष्ट रूप से जन-साधारण की समझ में आ सके।

(3) विवेक संगत (Reasonableness)- कानून विवेक पर आधारित होना चाहिए। कानून का उल्लंघन करने वाले को उचित दण्ड निर्धारित किया जाना चाहिए। अपराध तथा दण्ड के बीच उचित अनुपात होना चाहिए।

(4) निष्पक्षता (Impartiality)- कानून सब के लिए समान होना चाहिए। यदि किसी वर्ग विशेष के लिए कानून में पक्षपात किया जायेगा तो कानून का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।

(5) जनमत पर आधारित (Based on Public Opinion)- कानून जनमत के विरूद्ध नहीं होना चाहिए। कानून का निर्माण करते समय जनमत को ध्यान में रखा जाना चाहिए अन्यथा नागरिकों से उनका पालन कराना कठिन होता है।

(6) लोक कल्याण (Public Opinion)- कानून इस प्रकार के होने चाहिए कि उनमें लोक-कल्याण की भावना निहित हो।

(7) जन प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित (Law should be made by representative of the people) कानून यदि जन प्रतिनिधियों द्वारा बनाए जाते हैं तो जनता खुशी से उनका पालन करती है। संक्षेप में कानून का उद्देश्य राज्य के नागरिकों के जीवन को सुखी बनाना है।

समाज में शांति की व्यवस्था बनाना है। अच्छे कानूनों के द्वारा ही समाज अथवा राज्य में ऐसा वातावरण और परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनमें रहकर नागरिक अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं।

कानून की परिभाषा तथा उसके उदारवादी एवं मार्क्सवादी दृष्टिकोण

आस्टिन के अनुसार- “कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है। “हॉलैण्ड के अनुसार-“कानून मानव के बाहरी व्यवहार का सामान्य नियम है जो सर्वोच्च राजनीतिक शक्ति द्वारा लागू किया जाता है।” वुडरो विल्सन का कथन है, “कानून स्थापित विचारों तथा आदर्शों का वह अंश है जो शासन की सत्ता तथा शक्ति द्वारा सामान्य नियमों के रूप में पुष्टि तथा विधिवत् स्वीकृति प्राप्त कर चुका हो।”

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि राजनीति विज्ञान में कानून उन सामान्य नियमों को कहते हैं जो राज्य के अन्तर्गत रहनेवाले व्यक्तियों के आचरण व व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इनके पीछे राज-शक्ति होती है। कानून का उदारवादी दृष्टिकोण (Liberal View)- उदारवादी सामान्यतः व्यक्ति के जीवन के सभी क्षेत्रों में उसकी स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं, कानून के शासन को स्वीकार करते हैं।

उदारवाद में संविधानवाद का समर्थन किया जाता है। इसमें व्यक्तिवाद तथा लोकतंत्र दोनों के तत्व पाए जाते हैं। उदारवादियों के अनुसार राज्य को कम से कम कानून बनाने चाहिए ताकि नागरिकों को अधिक से अधिक स्वतंत्रता प्राप्त हो सके। कानून का मार्क्सवादी दृष्टिकोण (Marxist View)- जहां उदारवाद राज्य को कम से कम हस्तक्षेप करने देना चाहता है, वहीं मार्क्सवाद राज्य को अधिक से अधिक शक्तियाँ प्रदान करने का पक्ष लेता है।

मार्क्सवाद के अनुसार राज्य को अधिक कानूनों का निर्माण करना चाहिए ताकि वे नागरिकों में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समानता ला सकें। वे कानून के द्वारा नागरिकों की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाने के पक्ष में हैं, ताकि स्वतंत्रता स्वच्छंद रूप न ग्रहण कर ले।

हमारे द्वारा लिखी गई यह जानकारी आपको अगर अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को जरूर शेयर करें और इसी तरह के और भी जानकारी दी गई है आप उसे भी जरूर से पढ़ें।

Interesting Posts, READ More:

Phone Bhoot Movie Review: Katrina Kaif

कानून शब्द से आप क्या समझते हैं? नैतिक कानून तथा राज्य कानून

साधारण कानूनों से क्या अभिप्राय है?

एक अच्छे कानून के कोई दो लक्षण बताइए तथा

Leave a Comment