स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं? नकारात्मक स्वतंत्रता की कमियों का विवेचन कीजिए – Sab Sikho

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आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं और नकारात्मक स्वतंत्रता की कमी क्या क्या है उस पर उल्लेख किया गया है वह जरूर पढ़ें।

स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार – नकारात्मक स्वतंत्रता की कमियाँ

स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं? व्याख्या:

स्वतंत्रता के प्रकार (Kinds of Liberty) –

1. प्राकृतिक स्वतंत्रता (Natural Liberty)- प्राकृतिक स्वतंत्रता वह स्वतंत्रता है, जिसका मनुष्य राज्य की स्थापना से पहले प्रयोग करता था। रूसो (Rousseau) के अनुसार मनुष्य प्राकृतिक रूप से स्वतंत्र पैदा होता है, परन्तु समाज में आकर वह बंधन में बंध जाता है।

प्रकृति की ओर से व्यक्ति पर किसी प्रकार के बंधन नहीं होते। परन्तु अधिकतर राजनीतिक शास्त्री इस मत से सहमत नहीं हैं। हरबर्ट स्पेन्सर कहता है, “स्वतंत्रता का अर्थ उस अवस्था से है जिसमें प्रत्येक मनुष्य को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतंत्रता रहे, यदि वह दूसरों की वैसी ही स्वतंत्रता का उल्लंघन न कर रहा हो।”

2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Individual Liberty)- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अर्थ है कि मनुष्यों को व्यक्तिगत मामलों में पूरी तरह स्वतंत्रता होनी चाहिए। भोजन, वस्त्र, शादी, रहन-सहन आदि मामलों में राज्य को दखल नहीं देना चाहिए।

3. राजनीतिक स्वतंत्रता (Political Liberty)- राजनीतिक स्वतंत्रता ऐसी स्वतंत्रता को कहते हैं, जिसके अनुसार किसी देश के नागरिक अपनी सरकारों में भाग लेने का अधिकार रखते हैं। नागरिकों को मताधिकार, चुनाव में खड़े होने का अधिकार, आवेदन देने का अधिकार तथा सरकारी नौकरी पाने का अधिकार रंग, जाति व धर्म आदि के भेदभाव के बिना सबको प्रदान किये जाते हैं।

4. आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Liberty)- आर्थिक स्वतंत्रता से अभिप्राय ऐसी स्वतंत्रता से है जिसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रुचि व योग्यतानुसार व्यवसाय करने की स्वतंत्रता हो, देश में उद्योग- धंधों को सुचारू रूप से चलाने की स्वतंत्रता हो और उनको सुचारू रूप से चलाने की व्यवस्था बनायी जाए। धन का उत्पादन व वितरण ठीक ढंग से हो व बेरोजगारी न हो।

5. धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Liberty)- धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ है- प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता हो। राज्य का कोई विशेष धर्म नहीं होता। विभिन्न धर्म के मानने वालों में कोई भेद नहीं किया जाता । इसी भावना के अनुसार भारत को धर्म निरपेक्ष घोषित किया गया है।

6. राष्ट्रीय स्वतंत्रता (National Liberty)- राष्ट्रीय स्वतंत्रता का अर्थ है कि एक राष्ट्र को विदेशी नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त होती है। एक स्वतंत्र राष्ट्र ही अपने नागरिकों को अधिकार तथा स्वतंत्रता प्रदान कर सकता जिससे नागरिक अपना सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक तथा राजनैतिक विकास कर सकें।

7. नैतिक स्वतंत्रता (Moral Liberty)- व्यक्ति पूर्ण रूप से तभी आज़ाद हो सकता है जबकि वह  सदाचार रूप से भी स्वतंत्र होनी चाहिए । नैतिक स्वतंत्रता का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी बुद्धि तथा विवेक के अनुसार निर्णय ले सके। हीगल तथा ग्रीन ने नैतिक स्वतंत्रता पर बल दिया है। उनके अनुसार राज्य ऐसी परिस्थितियों की स्थापना करता है, जिससे मनुष्य नैतिक रूप से उन्नति कर सकता है।

नकारात्मक स्वतंत्रता की तीन कमियों का विवेचन

प्राचीन राजनीतिक दार्शनिक नकारात्मक स्वतंत्रता को महत्व देते हैं। उनके अनुसार स्वतंत्रता से अभिप्राय ‘बंधनों के अभाव’ से है। व्यक्ति पर राज्य द्वारा कोई नियंत्रण नहीं होना चाहिए। व्यक्ति अपने विवेक के अनुसार जो करना चाहे उसे करने देना चाहिए। वह सरकार सर्वोत्तम है जो कम से कम शासन करती है।

सम्पत्ति तथा जीवन की स्वतंत्रता असीमित होती है। नकारात्मक स्वतंत्रता की तीन गम्भीर कमियां (Three great drawbacks of the concept of negative liberty)-

(i) प्रतिबंधों का अभाव स्वतंत्रता नहीं (Absence of Restraints is not liberty)- स्वतंत्रता का नकारात्मक सिद्धांत अहस्तक्षेप दायरे की ओर संकेत करता है, परन्तु समाज में न तो ऐसा सम्भव है और न ही उचित है क्योंकि यदि सब व्यक्तियों को स्वेच्छा से कार्य करने की छूट दे दी जाए तो उस समाज में स्वतंत्रता नहीं वरन अराजकता का अभ्युदय हो।। इस प्रकार की स्वतंत्रता समाज को नष्ट कर देती है।

(ii) राज्य की अहस्तक्षेप की नीति के भयानक परिणाम निकले थे (The policy of Laissez fair resulted into serious consequences)- नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थकों ने आर्थिक क्षेत्र में राज्य की अहस्तक्षेप की नीति पर बल दिया था। 18वीं व 19वीं शताब्दी में यूरोपियन तथा कई पाश्चात्य देशों में इस नीति को लागू किया गया था, परन्तु उसके भयानक परिणाम निकले।

पूंजीपतियों ने श्रमिकों पर अमानवीय अत्याचार किए तथा अनुचित साधनों द्वारा श्रमिक श्रेणी का अत्यधिक शोषण किया। इस प्रकार नकारात्मक स्वतंत्रता के सिद्धांत के दोष विश्व के सामने आये और इन दोषों को दूर करने के लिए राज्य को अहस्तक्षेप करना पड़ा।

(iii) तर्कशील या उचित प्रतिबंध बुराई नहीं (Rational or Proper restraint is not an evil)- राज्य के कानून व्यक्ति को अनुशासन में रखने के लिए उचित प्रतिबंध लगाते हैं तो ऐसे बंधनों को बुराई नहीं कहा जा सकता ।

उदाहरणतया – यदि सरकार कोई ऐसा कानून बनाती है कि किसी की जेब काटना एक अपराध है और इस अपराध की स्वतंत्रता किसी को नहीं दी जा सकती, तब यह किसी की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं है और न ही यह कोई बुराई है।

स्वतंत्रता की सुरक्षा के विभिन्न उपायों का संक्षिप्त विवेचन

स्वतंत्रता के विभिन्न संरक्षण (Safeguards) निम्नलिखित हैं-

1. लोकतंत्र (Democracy)- लोकतंत्रीय शासन में जनता की स्वतंत्रता बनी रहती है, क्योंकि जनता ही शासक भी होती है। लोकतंत्र में अंतिम सत्ता जनता में निहित होती है। लोकतंत्र में विरोधी दल का विशेष सम्मान होता है। सरकार की आलोचना का स्वागत किया जाता है और इन सब कारणों से व्यक्तियों अर्थात् नागरिकों की स्वतंत्रता सुरक्षित रहती है।

2. संविधान (Constitution)- संविधान में सरकार की शक्तियों को लिखकर उसकी एक मर्यादा बांध दी जाती है। सरकार का कर्तव्य है कि उन सीमाओं में रहकर अपना काम चलाए।

3. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)- मौलिक अधिकारों के बिना नागरिकों की स्वतंत्रता कायम नहीं रह सकती है। जिन देशों के संविदान में मूल अधिकार दिए गए हैं वहां पर सरकार जनता के किसी निजी क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

4. स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary)- स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह भी परम आवश्यक है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका से पूर्णतः स्वतंत्र हो तभी न्यायपालिका निष्पक्ष निर्णय दे सकती।

5. शक्तियों का विकेन्द्रीकरण (Independent Judiciary)- शक्तियों के केन्द्रीयकरण से निरंकुशता बढ़ती है, अतः यह परमावश्यक है कि शक्तियों का विकेन्द्रीकरण होना चाहिए। स्थानीय स्वशासन देने से लोगों में जागरूकता पैदा होती है और वे सरकार में भागीदार बनते हैं तथा अपना सब प्रकार का सहयोग भी देते हैं।

6. आर्थिक सुरक्षा (Economic Security)- लास्की ने कहा है कि “जहां कुछ लोग अमीर और गरीब, शिक्षित और अशिक्षित होते हैं वहां हम सदैव स्वामी और दासों का सम्बंध पाते हैं।” अतः यह जरूरी है कि लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो।

यह तभी संभव हो सकता है जबकि आर्थिक असमानता, महंगाई और बेरोजगारी दूर हो तथा लोगों का रहने-सहन का स्तर ऊंचा हो और उन्हें उन्नति के समान अवसर प्राप्त हों। यह तभी हो सकता है जब पूंजीवाद का नाश हो और समाजवाद की स्थापना हो। आर्थिक सुरक्षा के बिना स्वतंत्रता सारहीन है।

7. कानून का शासन (Rule of Law)- हीगल के अनुसार “राज्य में रहते हुए कानून के पालन में ही स्वतंत्रता निहित है। “स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि कानून का शासन प्रचलित हो कि जैसे इंग्लैंड, तथा भारत में है। कानून की दृष्टि से सम्पत्ति, जाति-पांति, धर्म इत्यादि के आधार पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा और सब व्यक्तियों को अपराध करने पर बराबर का दण्ड मिलेगा।

8. राजनीतिक शिक्षा एवं सतत सतर्कता (Political Education)- स्वतंत्रता की रक्षा स्थायी रूप से तभी हो सकता है जबकि लोगों को काफी राजनीतिक शिक्षा प्राप्त हो और उन्हें उनके द्वारा अपने अधिकारों और कर्तव्यों का काफी ज्ञान हो। यह कहा गया है कि सतत सतर्कता (जागरूकता) ही स्वतंत्रता का मूल्य है (Continue vigilance is the price of Liberty), क्योंकि इसके बिना सरकार अपनी मनमानी कर सकती है।

इसीलिए लास्की ने कहा है- “नागरिकों की महान् भावना स्वतंत्रता की वास्तविक संरक्षक है, न कि कानून की शब्दावली।” जैफरसन ने कहा है कि “कोई भी देश अपनी स्वतंत्रता की रक्षा तब तक नहीं कर सकता जब तक कि समय-समय पर वहां की जनता अपनी विरोध भावना का प्रदर्शन करके अपने शासकों को सजग न करती रहे।”

9. स्वतंत्र प्रेस (Free Press)- स्वतंत्रता की रक्षा का प्रश्न बहुत अधिक सीमा तक स्वतंत्र प्रेस के साथ जुड़ा हुआ है। यदि समाचार-पत्र स्वतंत्र हैं तो उनके द्वारा शासन को मर्यादित रखने का कार्य किया जा सकता है।

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